सहभागी
सौख्यम् रियुज़ेबल पैड्स की रचना ग्रामीण भारत में उपयोग के लिए की गयी थी. अक्टूबर २०१७ प्रारम्भ (लॉन्च) से अब तक शहरों, कस्बों और गाँवों की ६००० से अधिक शिक्षित और जानकार लड़कियाँ और महिलाएँ सफलतापूर्वक बदलाव को अपना चुकी हैं।
इससे हमनें कम से कम ३ करोड़ डिस्पोज़ेबल पैड्स के व्यवस्थापन को रोका है, यह मानते हुए कि एक लड़की या महिला जिसने बदलाव अपनाया है वह अन्यथा अपने पूरे जीवन के मासिक धर्म में कम से कम ५००० डिस्पोज़ेबल पैड्स फेंक देती।
साथ ही हमनें इन डिस्पोज़ेबल पैड्स बनाने के लिए सेल्यूलोज़ फाइबर प्राप्त करने के लिए कटने वाले एक लाख से ज़्यादा पेड़ों के विनाश को रोका है ।
टीम अपने सहभागियों की मदद से इसे पूरा करने में सफल रही है।
